आत्मकल्याण के सूत्र
- आत्मकल्याण के सूत्र 
- शुन्य के साथ कितने भी शुन्य जोडों लेकिन उनका कोई मूल्य नहीं।
-  इसी प्रकार संसार की सारी भौतिक संपदा आपके पास हो लेकिन परमात्मा के बिना उसका कोई मूल्य नहीं। 
- उपयोगी है :
 (१) भोजन, जो पच जाय।
- (२) धन, जो जीवन में काम आए। 
- (३) रिश्ता, जिसमें प्रेम हो। 
- भगवान् यदि परिक्षा लेता है तो पहले योग्यता भी देता है। 
- वह व्यक्ति धरती की शोभा बनता हे जो अवसर को पहचाने और जीवन की सबसे कीमती वस्तु समय को व्यर्थ न जाने दें। 
- एकांत और मौन व्यक्ति को महान बनाता है। 
- बुराई इसलिए नहीं पनपती कि बुरा करने वाले लोग बढ़ गये हैं वरन इसलिए पनपती है कि उसे सहन करनेवाले लोग बढ़ गये हैं। 
- संगठित होकर किसी महान लक्ष्य को पाने का मूलमंत्र है एक दुसरे को सह लेना। 
 पूज्य सुधान्शुजी महाराज