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Sunday, March 23, 2008

  • 1 ] दुसरों को सुधारने का उपदेश देना जितना सरल है , स्व्यं को सुधारना उतना ही कठिन है !
  • 2] किसी के गुणों को बढाने वाले बने ,दोशों का बखान न करें !
  • 3] सग्रंह करता जाये और आनन्द मना न पाये ऐसा व्यक्ति अभागा है और वह व्यक्ति भाग्यशाली है जो भगवान की देन के प्रति हर रोज शुक्र मनाये और आनन्द मनाये !

  • हे सच्चिदानन्द स्वरुप ! हे जीवन के परमपिता परमातमा आप आनन्द के भण्डार हैं! प्रभु आपको हमारा बारम्बार प्रणाम है ! हे सर्वरक्षक ! ससार की विषमताओं के बीच बहके हुए हमारे कदमों को सभालने वाले आप ही है द्वंद्वों और दुखों में धैये प्रदान करने वाले भी आप ही हैं, हमारे ह्र्दय में धडकन बनकर धडकने वाले आप ही हैं ! प्रभु! ससांर के कण कण में ,हमारे रोम रोम में आप ही विराजमन हैं !

  1. 1 ] सोचो आप किसको महत्व देते हो !
    2 } मन कहां भागता है ,मन जहां जा रहा है उसको भगवान मानो ईश्ट देव मानो !
    3] जब विचार आते हैं तो उसी समय सासं रोक लो न लो न छोडो न लो रासता बदं
    हो जायगा !

  • शिव ही अंदर शिव ही बाहर ,
  • शिव ही है चारों और
  • शिव ही वेद शिव ही पुराण
  • शिव ही है चारों धाम
  • शिव की महिमा का तू कर गुणगान