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Tuesday, January 19, 2010

vichar

विचार ही विचार की औषधि हे ,मन की औषधि पवित्र विचार हे । इसलिए वही देखो ,वही पढो और वही सुनो जो कल्याण कारक हो !

ग़ुरुवर सुधंशुजी महाराज के प्रवचनांश