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Monday, August 16, 2021

Kahani

एक बार    गोपीयों ने   श्री   कृष्ण   से   कहा   कि
हमें    अगस्त्य  मुनि   को   भोग   लगाने   जाना   है ।
और   रास्ते   में    यमुना   जी   आती   है   ,अब   तुम  ही
बताओं    हम   उस  पार    कैसे  जाये   ?🙏

     तब    भगवान    श्री  कृष्ण   ने   कहा  ,:      जब  तुम
यमुना जी   के    पास   जावो  , तो   उनसे    कहना   की
अगर   श्री   कृष्ण    ब्रह्मचारी    है  ।  तो    हमें   रास्ता दे
 बस    यमुना   जी    तुम्हें    रास्ता   दे   देगी   🌳🌳

    गोपीया    हंसने    लगी   ,ये   कृष्ण    भी    अपने  आप   को    ब्रह्मचारी    समझता    है  ❤️
  सारा  दिन   तो    हमारे   पीछे   पीछे    घुमता   है  ।
कभी   वस्त्र   चूराता   है    माखन  चुराता  है  , मटकी  तोड़ता   है  । और   ब्रम्हचारी  ,?,,,,,,,,,,,,,,🤣🤣
         खैर    हमें   क्या   , चलो    हम    बोल  देंगे   

     फिर   गोपीया    यमुना   जी   के    पास   जाकर  बोलती   है  ;;;;हे   यमुना   जी   , यदि   श्री कृष्ण  ब्रम्हचारी     है   ,  तो    हमें    रास्ता  दे   ।🌴🌴🌴🌴
    गोपीयोके कहते     ही    यमुना  जी  ने   तुरंत   रास्ता दे   दिया  ।    🤔🤔   गोपीया   आच्क्षर्य   से   भर गई

       अब    गोपीया    अगस्त्य   मुनि  को    भोजन  दें दिया   ,  आते   वक्त   उसने    मुनि   से   कहा   
   हे    मुनीश्वर    रास्ते में    यमुना   जी    आती   है   हम
घर    कैसे    जायेंगे   ? 🤔🤔🙏

       तब   मुनि    अगस्त्य   ने     कहा  ;;  जब    तुम  यमुना   जी    के    पास   जाना   तो    उनसे    ये  कहना
के   मुनि   अगस्त्य     अजिवन   निराहार    है   तो  हमें
रास्ता  दे  ,    बस     यमुना   जी    तुम्हें    रास्ता  दे  देगी

        गोपीया   मन  ही   मन     कहने   लगी   , अभी तो
सारा    भोजन   लाई   थी  ।  सारा  का   सारा   निगट  गये    और   अपने   आप    को   निराहार   कह रहे है
  
      गोपीया    वापस   चल   पड़ी  ,  यमुना  जी के  पास
आकर    कहने   लगी  ,   हे    यमुना   जी    अगर  
    अगस्त्य    मुनि    अजिवन    निराहार   है   ।  तो  हमें
आप   रास्ता  दे   दिजीए    हमें  घर   जाना  है  ।
            यमुना   जी  ने   भी   तुरंत    रास्ता  दे   दिया  
ये   देखकर  भी     गोपीयोकी     आच्क्षर्य   की   सिमा न
रही  🤔    ये   भी    कैसे   हो   सकता    है   ।हम ने
अपनी    आंखों   से   देखा   ,,,, मुनि   को   भोजन  करते
और   वो     अजिवन   निराहार    कैसे  ,🤔🤔🤔🤔

    इस   उधेड़बुन   में     गोपियां   सिधे    श्री   कृष्ण  के
पास   गए   और  आकर   वहीं   प्रश्न   का   उत्तर  जानने के   लिए   उस्तुक   थे   ,🙏🙏🙏🌴🌴🌳🌳🌳

      तब     भगवान   श्री कृष्ण   कहने   लगे   ;; गोपीयों 
मुझे    तुम्हारे    देह   से    कोई    लेना देना    नहीं  है
मैं   तो    तुम्हारी    प्रेम   और   भाव   को    देखकर  😄
तुम्हारे    पिछे    पिछे    घुमता   हु  ।।
         मैं   ने     संसार    को    कभी   भी    वासना  से
नहीं    देखा   ।न  भोगा   , मैं   निराकार ,  निर्मोही    हु  
इसलिए    यमुना   जी   ने    आपको   मार्ग   दे   दिया  ।

दुसरी   बात  ;     मुनि   अगस्त्य    भोजन   करने   से पहले   वो    मुझे    भोग   लगाते   हैं  ।  और   उनका 
भोजन  के    प्रति    कोई    रूचि  नहीं    होती  ❤️
कोई    मोह  नहीं  है  ।  
            उनके    मन   में  ए    कताई    नहीं    होता  कि
मैं   भोजन   कर   रहा  हूं  ।   या   मैं    भोजन   करु  ।
     वो   तो    अपने   अंदर   रह  रहे    मुझे   भोजन  करा    रहे    होते   हैं   । इसलिए   वो   अजिवन निराहार है  ।।  और   इसलिए   जो    मुझे   प्रेम  करता है मैं  उसका    ऋणी    हो   जाता   हूं   🛐🍀🌳🌳🌳🌳

       भावार्थ   ,की   , आंखें   देखी   भी   कभी कभी ग़लत  हो   सकती  है ☝️  हम     संसार   में    रहकर भी 
      ईश्वर   से   प्रेम  कर सकते   हैं   । संसार  छोड़ कर
नहीं   गृहस्थ   ही   सबसे    बड़ा   आश्रम   है  ।।।।🙏
   और कहीं     मठ   पुजा  ,वन  उपवन   आश्रम  तिर्थ
जाने   की    कोई   आवश्यकता  नहीं है 🌳🍀🙏

         
    संत  न   छोड़ें    संत ई   जो    कोटी  क   मिले  असंत
   चंदन   ,भुवंगा    बैठीया  ,। तहु    शितलता  न   तंजतं

      सज्जन   को   चाहे   करोड़  दृष्ट    पुरुष   मिल जाए
वो  अपने   स्वभाव  को  नहीं   छोड़ता ।
जैसे   चंदन   के   पेड़  पर  ,अनेक   सांप   लिपटे  रहते हैं ।   फिर  भी   वह   अपनी    सितलता नहीं छोड़ता
      
            जय श्री राधे राधे जी 🙏🌷
      
             जो  तु   सेवक    गुरु   का , निंदा  की  तज बान
          निंदक  नियारे   आय तब ,  कर   आदर   सनमान