------अपनी जिन परिस्थितियों को तुम बदल सकते हो, उन्हें बदलने का पूर्ण प्रयास करो. और जिन्हें तुम बदल नहीं सकते, उन्हें तुम स्वीकार कर लो.
------अपने प्रिय को उसके गुण तथा दोषों के साथ स्वीकार करो, उसने भी तुम्हे स्वीकार किया है.
गुरुवर सुधांशुजी महाराज के प्रवचनांश