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Friday, May 21, 2010

मोह का परित्याग

आसक्ति और मोह का परित्याग ही भक्ति के मंदिर का द्वार है। जब तक व्यक्ति मोह का परित्याग नहीं करता, तब तक भक्ति का पाठ नहीं सीखता।
गुरुवर सुधांशुजी महाराज के प्रवचनांश