आपके हिस्से में सुख मिका या दुःख, इसकी परवाह न करना। जो मिला उसे आप भगवान् की कृपा मानकर और भगवान् का प्रसाद मानकर स्वीकार करो और आगे बड़ते जाओ!
"हम न सोचें हमें क्या मिला है,
हम ये सोचें किया क्या है अर्पण,
फूल खुशियों के बाटें सभी को,
सब का जीवन ही बन जाए मधुबन,
बैर हो न किसी का किसी से,
भावना मन में बदले की हो न,
हम चलें नेक रस्ते पे हमसे,
भूल कर भी कोई भूल हो न!"
गुरुवर सुधांशुजी महाराज के प्रवाचानांश