- है सर्व शक्ति संपन्न प्रभो ,
- करबद्ध विनय हम करते हैं !
- सेवा में वस्तु आप ही की ,
- अर्पण कर भोजन करते हैं !
- इन्द्रियाँ चित्त इससे बन कर ,
- सब परहित ही में लग जावें !
- सच्चिदानंद दो शक्ति हमें ,
- जिससे जीवन का फल पावें !
- मेरा मुझ में कुछ नहीं ,जो कुछ हे सो तोर !
- तेरा तुझ को सोंपते , क्या लागत हे मोर !!