- न यह शरीर तुम्हारा है , न तुम शरीर के हो ! यह अग्नि , जल वायु , पृथ्वी , आकाश से बना है और इसी में मिल जायेगा ! परंतु आत्मा स्थिर है फिर तुम क्या हो ?
- तुम अपने आपको भगवान को अर्पित करो ! यही सबसे उत्तम सहारा है ! जो इसके सहारे को जानता है वह भय , चिन्ता शोक से सर्वदा मुक्त है
- जो कुछ भी टू करता है ,उसे भगवान को अर्पण करता चल ! एसा कराने से सदा जीवन -मुक्त का आनन्द अनुभव करेगा !
ॐ नमो भगवते बासुदेवाय नम: