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Monday, September 17, 2007

गीता --सार

  • * क्यों व्यर्थ की चिंता करते हो ? किससे डरते हो ? कौन तुम्हें मार सकता है ? आत्मा न पैदा होती है न मरती है !

  • * जो हुआ अच्छा हुआ ,जो हो रहा है ,वह अच्छा हो रहा है ,जो होगा ,वह भी अच्छा होगा ! तुम भूत का पशचाताप न करो १ भविष्य की चिंता न करो १ वर्तमान चल रहा है !

  • * तुम्हारा क्या गया ,जो तुम रोते हो !
  • tum क्या लाए थे ,जो तुमने खो दिया ?
  • तुमने क्या पैदा किया था , जो नाश हो गया ?
  • न तुम कुछ लेकर आए ,जो लिया ,यहीं से लिया ! जो दिया ,यहीं पर दिया ! जो लिया ,इसी (भगवान् ) से लिया ! जो दिया इसी को दिया !
  • खाली हाथ आए ,और खाली हाथ चले !
  • जो आज तुम्हारा है ,कल किसी और का था ! परसों किसी और का होगा ! तुम इसे अपना समझ कर मग्न हो रहे हो ! बस यही प्रसन्नता तुम्हारे दु:ख का कारण ना

  • * परिवर्तन ही संसार का नियम है ! जिसे तुम मर्त्यु समझते हो ,वही तो जीवन है ! एक क्षण में तुम करोडों के स्वामी बन जाते हो ,दुसरे क्षण में तुम दरिद्र हो जाते हो ! मेरा तेरा ,छोटा बड़ा ,अपना पराया ,मन से मिटा दो ,फिर सब तुम्हारा है , तुम सबके हो !