इंसान पदार्थो का बहुत महत्व मानने लग जाता है। ज्ञान की बडी-बडी बातें भी करता है, लेकिन प्राप्ति तब होती है जिस दिन यह अहसास हो जाता है कि पदार्थ दिए हैं मालिक ने खेल करने के लिए, मालिक ले भी सकता है। लेकिन मुझे पदार्थ के पीछे नहीं भागना है, मालिक को ही पकड़ लेना है।