"बड़ी चीज़ हाथ में आ जाए तो छोटी को फेंकना नहीं । तलवार हाथ में आ जाए तो सुई को नहीं फेंकना । बड़े लोग तुम्हें मिल जायें तो छोटे को भूलना नहीं । पता नहीं बड़ा कब आये और कब दूर हो जाए, लेकिन जो छोटा है, वह एक बार किसी का हो जाए तो फिर दूर नहीं जाता है। साधारण लोग भी बड़े महत्वपूर्ण होते है। जिनको आप बहुत बड़ा कहते है, उनके अन्दर बड़प्पन का अहंकार भरा रहता है और पैसे के कारण वे बड़े आदमी कहलाते है। पैसा छाया के समान है। छाया घटती – बढ़ती रहती है। इसलिए छाया की तरफ ध्यान न देकर उसकी तरफ ध्यान दो, जिसके कारण यह छाया बढ़ती और घटती है।"