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Monday, September 26, 2022

।।ॐ गुरवे नमः।।🙏🏻🌹🙏🏻

हरि ओम जी🙏🏻😊

🚩 *शारदीय नवरात्र की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं* 😃🙏🏻🌹🙏🏻

आज के (26/09/22) दिशा सत्संग का सारांश:

🚩 *साधना जंगल में नहीं, दुनिया में परखी जाती है।* दुनिया आपको भड़काए, ललचाए, गुस्सा दिलाए- लेकिन आप ना बदले, *आपका उत्साह कम ना हो, माला टूटे नहीं तो आपकी भक्ति सफल है।*

🚩 *दत्तात्रेय महाराज* कहते हैं- *माया के प्रभाव से ऊपर उठें ,उद्वेग से बचे रहे -अपने अंदर की शांति बचाए।*

🚩 *यमराज का दूसरा नाम क्रोध है, यह आपका राक्षसी रूप है- इससे बचे।*

🚩 *क्रोध में दग्ध व्यक्ति का आकर्षण खत्म होगा* जैसे वृक्ष की हरियाली जाए- तो छाया भी नहीं और पशु पक्षी भी वृक्षों से दूर भागते हैं।
ऐसे ही *क्रोधी व्यक्ति अकेला रहता है।*

🚩 *दत्तात्रेय महाराज* कहते हैं- *साधना मार्ग पर चलने के लिए सात्विक भोजन करें ,जितेंद्रीय बने, और समझदार बने  के मन ध्यान में लगे।* अपनी बुद्धि से इंद्रियों को संभालना है। 

🚩 *सिद्धि मिले तो विभूतियां-  ऐश्वर्य पीछे आते हैं। यह भक्ति के फल फूल है। सुरक्षा करने वाली शक्ति आप के आस पास रहती है।* दु:ख -दुर्भाग्य की बारिश में यह कृपा छत्री आपके साथ होती है। 

🚩 *दत्तात्रेय महाराज दुनिया से भागते हुए जंगल में बड़े पहाड़ पर जाकर साधना करने लगे।* वहां धुनी जलाएं ,टिक्कड़ बनाएं और खाए।
लेकिन साधना के अद्भुत प्रभाव से जहां रोशनी दिखाई दे, उस दिशा में की गयी प्रार्थना सफल होती गयी और लोगों का रेला पहाड पर पहुंचा। 

🚩 दत्तात्रेय महाराज  के पीछे लक्ष्मीजी भाग रही थी-  *महाराज ने अपने ह्रदय में नारायण को बसाया था इसलिए लक्ष्मी को पीछे आना ही पड़ा।*

हरि ओम जी🙏🏻😊
आप का हर पल मंगलमय हो, सब सुखी निरोग रहे।
🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩

Friday, October 22, 2021

अपने बच्चों





अपने बच्चों को अमीर बनाने का प्रयास मत करो,उन्हें अमीर बनाने की विधी सिखा दो।

 

Do not try to make your kids rich; instead teach them the method to become rich.

Friday, October 1, 2021

Kahani

*🌹 परमात्मा का द्वार 🌹*

*एक बार एक पुत्र अपने  पिता से रूठ कर घर छोड़ के दूर चला गया और फिर इधर उधर यूँ ही भटकता रहा।*

 *दिन बीते, महीने बीते और साल बीत गए!एक दिन वह बीमार पड़ गया।* 

*अपनी झोंपड़ी में अकेले पड़े उसे अपने पिता के प्रेम की याद आई, कि कैसे उसके पिता उसके बीमार होने पर, या दुखी होने पर, उसकी सेवा किया करते थे।* 

*उसे बीमारी में इतना प्रेम मिलता था, कि वो स्वयं ही शीघ्र अति शीघ्र ठीक हो जाता था। उसे फिर एहसास हुआ कि उसने घर छोड़ कर बहुत बड़ी गलती की है।* 

*वो रात के अँधेरे में ही घर की ओर हो लिया।*
*जब घर के नजदीक गया तो उसने देखा कि आधी रात के बाद भी उसके घर का दरवाज़ा खुला हुआ है।* 

*अनहोनी के डर से वो तुरंत भाग कर अंदर गया तो उसने पाया की आंगन में उसके पिता लेटे हुए हैं।* 

*उसे देखते ही उन्होंने उसका बांहे फैला कर स्वागत किया, पुत्र की आँखों में आंसू आ गए!*
*उसने पिता से पूछा : "ये घर का दरवाज़ा खुला है,क्या आपको आभास था कि मैं आऊंगा..??"*

*पिता ने उत्तर दिया : "अरे पगले ये दरवाजा उस दिन से बंद ही नहीं हुआ.. जिस दिन से तू गया है।* 

*मैं सोचता था कि पता नहीं तू कब आ जाये और कंही ऐसा न हो कि दरवाज़ा बंद देख कर तू वापिस लौट जाये..!!"*

*ठीक यही स्थिति उस परमपिता परमात्मा की है, उसने भी प्रेमवश अपने बच्चों के लिए द्वार खुले रख छोड़े हैं, कि पता नहीं कब भटकी हुई उनकी कोई संतान उसकी ओर लौट आए..!!*

*हमें भी आवश्यकता है तो सिर्फ इतनी कि उसके प्रेम को समझे और उसकी ओर बढ़ चलें..!!*

 *सदा स्मृति रहे कि--*
 *आप एक शांत स्वरूप और प्रेम स्वरूप आत्मा है*
*अपनेे  इष्ट माता-पिता व गुरुदेव को न भूलें।*

*सदैव प्रसन्न रहिये।*
*जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।*

    *🙏 जय श्री सीताराम 🙏*